पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्तवास शिवपुर में पावे ॥ अर्थ- पवित्र मन से इस पाठ को कर�
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्तवास शिवपुर में पावे ॥ अर्थ- पवित्र मन से इस पाठ को कर�